मृदा अन्वेषण ( Soil Exploration in hindi )

 मृदा अन्वेषण ( Soil Exploration

मृदा अन्वेषण का अर्थ है  मिट्टी की जांच या खोज करना । इसके  अंतर्गत स्थल और प्रयोगशाला मे उपमृदा के गुणों का अध्ययन, पानी के तल का अध्ययन किया जाता है।

 मृदा अन्वेषण ( Soil  Exploration) ke उद्देश्य 

1)- मिट्टी के मूल गुणों जैसे संपीडयता, कर्तन शक्ति आदि को निर्धारित करने के लिए। 

2) भूमि जल की स्थिति को पता लगाने के लिए।

3) मौजूदा कार्यों की विफलता के कारणों का पता लगाने के लिए ।

4) मिट्टी के भौतिक, रसायनिक, व इंजिनियरिंग गुणों को निर्धारित के लिए ।

5) अलग अलग गहराई पर मिट्टी की जांच करके नीव की गहराई तय करने के लिए ।

 अन्वेषण( जांच) की विधियां 

अवभूमि की जांच करने की दो विधियां है। 

1) प्राथमिक जांच 

2) विस्तृत जांच 

(1)  प्राथमिक जांच 

इस जांच मे मिट्टी के प्रकार का मोटा मोटा पता लगाया जाता है।इस अध्ययन का मुख्य उद्देश्य मिट्टी के भूस्खलन और भूमि के जल की स्थिति का पता लगाना होता है। इसके अन्तर्गत निम्न बातों को अध्ययन किया जाता है।

i) भू - वैज्ञानिक डाटा ।

ii) सीरियल  की तस्वीरे 

iii) पेडॉलजिकल डाटा 

(2) विस्तृत अध्ययन 

इसके अंतर्गत मिट्टी का विस्तृत अध्ययन किया जाता है।और मिट्टी के इंजिनियरिंग गुणों का निर्धारण किया जाता है।इसके बोरिंग की जाती है और नमूने का परीक्षण किया जाता है।

इसमें निम्न चरण होते है।

i) बोरिंग 

ii) सैंपल लेना 

iii) परीक्षण 

iv) वायुवीय फोटोग्राफी 

v) भू भौतिकी विधि 

(1)बोरिंग 

बोरिंग निम्न प्रकार से को जा सकती है।

a) बरमा बोरिग 

b) वाश बोरिंग 

c) रोटरी बोरिंग 

d) परक्यूसन बोरिंग 

(a) बरमा बोरिग 

बरमा एक प्रकार का उपकरण होता है। जो जमीन मे छेद को आगे बढ़ाने का कार्य करता है।इसको जमीन मे ऊर्ध्वाधर दिशा में चलाया जाता है।इस पर खांचे कटे होते है।और इसके उपरी सिरे पर एक हत्था लगा होता है।जिसको घूमाने से ये जमीन के अंदर जाता है।

हस्त चलित बरमे से 6 मीटर गहराई करके एक होल बना लिया जाता है।जैसे ही बरमा मिट्टी से भार जाता है उसे बाहर निकाल लेते है।बरमे से होल सूखा बनाया जाता है।बरमे का प्रयोग उथली नींव, छोटे गड्ढे तथा रोड को मिट्टी को जांचने के लिए प्रयोग किया जाता है।


(b) वाश बोरिंग 

सभी प्रकार की मिट्टी में छिद्रों को आगे बढ़ाने के लिए वॉश बोरिंग एक तेज़ और सरल विधि है। इस विधि से बोल्डर और रॉक को प्रवेश नहीं किया जा सकता है। इस विधि में छेद के किनारों को रोकने के लिए आवरण पाइप लगाया जाता है।  जिसके माध्यम से एक तेज छेनी के साथ एक खोखला ड्रिल रॉड या निचले सिरे पर कटिंग बिट डाला जाता है।ड्रिल को ऊपर उठाया तथा गिराया जाता है।  और  साथ मे  घुमााया भी जाता है। जिसके कारण मिट्टी कट जाती है। इसके बाद मिट्टी को पानी के घोल के साथ बाहर निकाला जाता है।जब पानी बाहर आ जाता है तब इस पानी को टब में रख देते हैं।और जब मिट्टी निचे बैठ जाती है।तो उसे इकट्ठा करके जाच की जाती है। 


(c)-रोटरी बोरिंग 

इस विधि का प्रयोग मिट्टी का पता लगाने  के लिए किया जाता है।इस विधि में एक ड्रिल बिट या कोर बैरल के साथ एक कोरिंग ड्रिल रॉड जुड़ी होती है, जो एक पॉवर रिंग के द्वारा घुमाई जाती है।यदि ड्रिलिंग मिट्टी का उपयोग करना हो तो आवरण की कोई आवश्यकता नहीं होती है।कोर बैटल के साथ डायमंड बिट का प्रयोग करते है।ये बिट कठोर चट्टानों को ड्रिल करने के लिए प्रयोग की जाती है।



(d)  परक्यूसन बोरिंग 

इस विधि मे भारी ड्रिलिंग बिट को बार बार मारकर मिट्टी को कम किया जाता है।बिट एक ड्रिलिंग रॉड के अंत के सिरे से जुड़ा रहता है। इसको बोर छिद्र मे बारी बारी से उठाया और गिराया जाता है।ये  विधि चट्टानों और कठोर मिट्टी मे कार्य करने के लिए उपयुक्त है। 


(ii) सैंपल लेना 

 ट्रायल गढ्डों से नमूना लेना 

इसमें परीक्षण के नमूने हाथ से इकट्ठा किए जाते है।एक गढ्ढे मे मिट्टी को खोदकर लकड़ी के ब्लॉक में भर देते है।इसके बाद फैला कर समतल कर दिया जाता है।इस समतल मिट्टी को काट कर नमूना प्राप्त किया जाता है।इस नमूने को पॉलीथिन मे मोम या ग्रीस के साथ सील कर दिया जाता है।इसके बाद इसको प्रयोग शाला में टेस्ट करते है।

परीक्षण

मृदा परीक्षण मुख्यत: दो प्रकार के होते है।

(1) स्थल परीक्षण 

(2) प्रयोगशाला परीक्षण 

(1) स्थल परीक्षण 

स्थल पर निम्न परीक्षण किए जाते है।

(i) पेनेट्रेशन परीक्षण  

(ii)मीटर परीक्षण 

(iii)वेन शियर परीक्षण 

(iv)प्लेट भार परीक्षण


(i) पेनेट्रेशन परीक्षण  

पेनेट्रेशन परीक्षण तीन प्रकार का होता है।

(a) स्टैंडर्ड पेनेट्रेशन परीक्षण 

(b) डायनामिक कोन पेनेट्रेशन परीक्षण 

(c) स्टेटिक कोन पेनेट्रेशन परीक्षण


   वायुवीय फोटोग्राफी 

वायु या आकाश से लिए गए फोटोग्राफ के द्वारा मिट्टी के नमूने लेकर मिट्टी की पहचान की जाती है।इस प्रकार के फोटोग्राफी मे रंगो के अनुसार मृदा की पहचान की जाती है ।ये परीक्षण वहा किए जाते है। जहां पहुंचना मुश्किल होता है।अत: मृदा के प्रकार पर रंगो का प्रावधान करके फोटोग्राफी की जाती है।




Also see https://generalawareness2222.blogspot.com/2021/03/test-of-soil.html

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