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नींव( Foundation)

 संरचना का वह हिस्सा जो सुरक्षित रूप से मिट्टी पर संरचना के भार को स्थानांतरित करता है, उप संरचना कहलाता है। उप-संरचना को आमतौर पर नींव कहा जाता है


नींव के प्रकार

नींव को मोटे तौर पर दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है:

(1) - उथला नींव

 (2) - गहरी नींव 

(1) - उथली नींव

जब नींव की चौड़ाई B  और उसकी  गहराई  D का अनुपात 1 के बराबर या उससे कम हो तो ऐसी नीव को उथली नीव कहते है।

अर्थात वह नींव जिसकी गहराई उसकी चौड़ाई के बराबर या कम हो उसे उथली नींव कहते है।

 

 (2) - गहरी नींव

  जब नींव की चौड़ाई B  और उसकी गहराई  D का अनुपात 1  से अधिक हो तो ऐसी नीव को गहरी नीव कहते  है।

 उथले नींव के प्रकार

 (1) - विस्तृत नींव या खसका( spread footing)

 (2) - संयुक्त नींव (combined footing)

(3) राफ्ट नींव  या मैट नींव (raft or mat footing)

(4) ग्रिलेज नींव (grillage footing)

(5) पैडिदार नींव (step footing)

(6) उल्टी डाट नींव( inverted arch footing )


 (1) - विस्तृत नींव या खसका (spread footing)

इस प्रकार की नींव भूमि के तल से कम से कम 90cm गहरी होनी चाहिए।इसमें दीवार के आधार को खसका देकर चौड़ा बनाया जाता है ताकि मृदा पर आने वाला भार उसकी धारण क्षमता से अधिक ना हो। इसमें 5-5 cm के खसके देना चाहिए तली मे 30cm मोटा चुना कंक्रीट बिछाना चाहिए।

 नींव की चौड़ाई B = W/P 

जहां      B = नींव की चौड़ाई 

            W= नींव की प्रति मीटर लम्बाई मे भार 

           P = सुरक्षित भार वहन क्षमता 

नींव की गहराई D = P/w (1-sinΦ)^2/(1+sinΦ)^2 

जहां Φ = मृदा का विश्राम कोण है।




 पृथक पाद नींव (isolated footing)

इस प्रकार की उथली नींव केंद्रीय भार को कॉलम से नींव तक ले जाती है। इसमें नींव के आधार को कॉलम के अनुसार चौड़ा कर दिया जाता है। अर्थात यदि कॉलम आयताकार है तो आधार भी आयताकार बनाते है। और यदि कॉलम सर्कुलर है तो आधार भी सर्कुलर होगा। 

(2) संयुक्त नींव (combined footing)

जब दो या दो से अधिक कॉलम की आपस की दूरी कम होती है तो इन्हे एक ही  नींव पर बनाया जाता है।इस प्रकार की नींव को संयुक्त नींव कहते है। 


(3) राफ्ट नींव या मैट नींव (raft or mat footing)

राफ्ट फुटिंग या मैट फुटिंग एक प्रकार का संयुक्त फुटिंग है जो एक संरचना के नीचे पूरे क्षेत्र को कवर करता है और सभी दीवारों और स्तंभों का का भार वहन  करता है। इस प्रकार की फुटिंग निम्न अवस्था मे अपनाई जाती है।

i) जब मिट्टी की धारण क्षमता बहुत कम हो 

ii) जब मिट्टी निषदन की अवस्था में हो ।

iii) संरचना का भार अधिक हो। 




बनाने की विधि -     

इस प्रकार की नींव बनाने के लिए पूरे क्षेत्र को उचित माप तथा गहराई का गड्ढा बनाकर उसमें स्टील की छड़ बिछा दी जाती है।और उसके बाद उसमे 1:2:4 का कंक्रीट भर देते है।

(4) ग्रिलेज नींव (grillage foundations)

Grillage foundation ग्रिलेज फाउंडेशन एक प्रकार की नींव (foundation) है जिसका उपयोग अक्सर एक स्तंभ (column) के आधार (base) पर किया जाता है।  इसमें एक, दो या दो से अधिक स्तरीय स्टील बीम होते हैं, जो कंक्रीट की एक परत पर चिपके होते हैं, आसन्न स्तरों को एक दूसरे के समकोण पर रखा जाता है, जबकि सभी स्तरों को कंक्रीट में रखा जाता है।

यह स्तंभों (column) से भारी भार (heavy load)को कम असर क्षमता की मिट्टी (low bearing capacity) में स्थानांतरित करने के मामले में सबसे किफायती नींव है। 



(5) पैडिदार नींव या स्टेप फुटिंग(stepped foundation)

स्टेप फ़ुटिंग का निर्माण आमतौर पर पुराने दिनों में किया गया था लेकिन अब वे पुराने हो चुके हैं। स्टेप्ड फुटिंग को स्टेप्ड फाउंडेशन के रूप में भी जाना जाता है।
स्टेप नींव हमेशा ढाल वाले स्थान पर या पहाड़ी क्षेत्रों में बनाई जाती है। जब पूरी लम्बाई मे समान गहराई तक खुदाई करना कठिन हो, तो ऐसे स्थानों पर स्टेप फाउंडेशन बनान पड़ता है।जो दीवार की लम्बाई की दिशा की तरफ अलग अलग तलो पर रखते है।





(6) उल्टी डाट नींव( inverted arch footing ) 

एक उल्टी डाट नींव का निर्माण वहा किया जाता है, जहां की मृदा की धारण क्षमता कम होती है।
और  संरचना का भार दीवारों पर केंद्रित होता है और गहरी खुदाई संभव नहीं होती । इसके लिए ये आवश्यक है कि संरचना की दीवार व कॉलम अधिक मजबूत हो।इस प्रकार की 
नींव को उल्टी डाट के रूप में बनाते है ।इसी कारण इसे उल्टी डाट नींव कहा जाता है।










 

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