ठोस अपशिष्ट प्रबंधन- solid waste management

 ठोस अपशिष्ट प्रबंधन ( Solid waste Management) 

 ठोस अपशिष्ट के प्रकार 

(1)- नगरपालिका अपशिष्ट ( Municipal Waste)

(2)- औघोगिक अपशिष्ट (Industrial Waste) 

(3) भयावह अपशिष्ट (Hazardous Waste) 

(4) जैव चिकित्सकीय अपशिष्ट (Biomedical Waste) 

(1)- नगरपालिका अपशिष्ट  ( Municipal Waste) 

नगरपालिका अपशिष्ट मे घरों से निकलने वाला कूड़ा करकट नये घरों के निर्माण से निकले वाला अपशिष्ट,पुराने घरों के क्षय  निकलने वाले बेकार पदार्थ  और उपचार संयंत्रों से प्राप्त होने वाला अपशिष्ट इसके अन्तर्गत आते है।इसके अतिरक्त निम्न अपशिष्ट  नगरपालिका अपशिष्ट मे आते है।

1) खाने के बिकार पदार्थ। जैसे - सड़े गले फल ,सब्जियां  आदि 

2) ठोस अपशिष्ट पदार्थ जैसे - कागज , कार्ड बोर्ड , कपड़ा , प्लास्टिक, रबड़ , चमड़ा आदि।

(3) मकान आदि बनाने में ईंट ,पत्थर, सीमेंट, आदि। तथा संरचना को तोड़ने से बेकार प्लास्टर, पाइप आदि।

(2)-  औघोगिक अपशिष्ट (Industrial Waste)

औद्योगिक कचरा औद्योगिक गतिविधि द्वारा उत्पादित कचरा है जिसमें ऐसी कोई भी सामग्री शामिल हो सकती  है जो विनिर्माण प्रक्रिया के दौरान बेकार हो जाती है । औद्योगिक कचरे में  बजरी, चिनाई और कंक्रीट के स्क्रैप धातु, तेल, सॉल्वेंट , रसायन, स्क्रैप लकड़ी, यहां तक ​​कि रेस्तरां  के  पदार्थ शामिल हैं।  औद्योगिक अपशिष्ट ठोस, अर्ध-ठोस या तरल रूप में हो सकता है । उद्योग के प्रकृति के अनुसार अपशिष्ट ज्वलंनशील, विस्फोटक, विषैला या रेडियोधर्मी है सकता है।  


(3) भयावह अपशिष्ट (Hazardous Waste) 

इस प्रकार के अपशिष्ट मे रेडियोधर्मी पदार्थ ,विस्फोटक, अत्यधिक ज्वलनशील पदार्थ, रसायन,आदि आते है।इस प्रकार के अपशिष्ट तुरन्त अपना प्रभाव डालते है।इसी कारण इन्हे भयावह अपशिष्ट कहा जाता है।


(4) जैव चिकित्सीय अपशिष्ट  (Biomedical Waste)  

इस प्रकार के अपशिष्ट मे अस्पतालों से निकलने वाले अपशिष्ट  पदार्थ आते है।

बायोमेडिकल अपशिष्ट  ठोस या तरल हो सकता है। इसमें त्याग किए गए रक्त, मानव या पशु ऊतक, इस्तेमाल की गई पट्टियाँ और ड्रेसिंग, इस्तेमाल किए गए  दस्ताने, तथा अन्य चिकित्सा पदार्थ हो सकते  हैं। ऐसे कचरे इकट्ठा करते ही इसे अलग अलग पात्रों मे छांटकर रखना चाहिए। और जल्द से जल्द इनका समापन करना चाहिए।









समापन की विधियां ( Disposal methods)

ठोस अपशिष्ट के समापन की निम्न विधियां है- 

(1)- जलाना( Incineration)

(2)- पीसना( Grinding)

(3) भूमि भराव( land fill)

(4)- ढेर लगाना (Dumping)

(5) कम्पोस्ट बनाना (Composting)

(6) समुंद्र मे समापन ( Disposal into Sea)


(1)- जलाना (Incineration)

इस विधि मे ठोस अपशिष्ट को कचरा भट्टी में जलाया जाता है।इसमें एक भट्टी होती है।जिसके बीच मे एक जाली लगी होती है।इसके उपरी सिरे पर एक चिमनी लगी होती है। अपशिष्ट भरने के लिए एक डोर लगा होता है। और राख निकालने के लिए निकास द्वार होता है।

ये विधि ऐसी जगह पर प्रयोग की जाती है। जहां अपशिष्ट के समापन के लिए उपयुक्त स्थानों की कमी रहती है।ठोस अपशिष्टों को जलाने से कीड़े मकोड़े और रोगाणु पूरी तरह खत्म हो जाते है ।इनको जलाने से अत्यधिक उष्मा निकलती इस ऊष्मा का प्रयोग बायलरो को गर्म करने आदि मे किया का सकता है। 



(2)-पीसना (Grinding)

इस विधि मे थर्मोसेटिंग प्लास्टिक या बिजली को स्विच , रेडियो टी. वी , ट्रांसिटर आदि ठोस को पीसकर उनका अंतिम निपटान किया जाता है।इस प्रकार के पीसे हुए अपशिष्टों मे कोई रसायनिक क्रिया नहीं होती,।इस पाउडर का निपटान करना सरल होता है। 

(3) भूमि भराव (land fill)

इस विधि मे ठोस अपशिष्ट को गहरे गड्ढे वाले स्थान पर 1-2 मीटर की मोटाई मे अच्छी तरह से फैला दिया जाता है। इसमें सबसे नीचे मोटा कूड़ा डाला जाता है।और उसके बाद महीन कूड़ा बिछाया जाता है। इसके बाद इसे 15 सेंटीमीटर मोटाई की मिट्टी की परत से ढक दिया जाता है। इसके बाद मिट्टी परत की कूटाई कर दी जाती है।मिट्टी के नीचे अपशिष्टों का अपघटन होता है।जिसमे  लगभग एक वर्ष का समय लगता है। 

(4)- ढेर लगाना (Dumping)

ये विधि सबसे आसान होती है।इसमें नगरो या कस्बों के आस पास किसी गड्ढे मे कूड़ा करकट का ढेर लगा दिया जाता है। जिससे वर्षा के समय जल के एकत्र होने से ये सड़ गल कर ठोस हो जाता है।परन्तु इसके खुले में पड़े रहने से मक्खी मच्छर और कीड़े मकोड़े फैलते है जिससे बीमारियां फैलती है।

(5) कम्पोस्ट बनाना (Composting)

कूड़ा करकट का जैव रसायनिक क्रिया द्वारा अपघटन होने से ये कम्पोस्ट खाद मे बदल जाते है। कूड़ा करकट मे मौजूद कार्बनिक पदार्थो का जैव रासायनिक क्रिया द्वारा अपघटन करने पर हियुमस बनता है जिसे कम्पोस्ट खाद कहते है।इस प्रकार की खाद मे लगभग 0.3% नाइट्रोजन ,0.5% से 0.8% फास्फोरस और 0.6% से 0.9% पोटेशियम पाया जाता है।जो पौधों के लिए जरूरी तत्व है।

 (6) समुंद्र मे समापन ( Disposal into Sea)

इस विधि मे कूड़ा करकट समुंद्र के किनारे से दूर ले जाकर  समुंद्र मे डाल दिया जाता है।ये विधि समुंद्र के किनारे बसे शहरों मे अपनाई जाती है।

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