मृदा परीक्षण test of soil in hindi
मृदा परीक्षण( soil test)
मृदा परीक्षण मुख्यत: दो प्रकार के होते है।
(1) स्थल परीक्षण
(2) प्रयोगशाला परीक्षण
(1) स्थल परीक्षण
स्थल पर निम्न परीक्षण किए जाते है।
(i) पेनेट्रेशन परीक्षण
(ii)मीटर परीक्षण
(iii)वेन शियर परीक्षण
(iv)प्लेट भार परीक्षण
(i) पेनेट्रेशन परीक्षण
पेनेट्रेशन परीक्षण तीन प्रकार का होता है।
(a) स्टैंडर्ड पेनेट्रेशन परीक्षण
(b) डायनामिक कोन पेनेट्रेशन परीक्षण
(c) स्टेटिक कोन पेनेट्रेशन परीक्षण
(a) स्टैंडर्ड पेनेट्रेशन परीक्षण standard penetration test(SPT)
ये एक सरल और कम लागत वाली परीक्षण प्रक्रिया है, जिसका उपयोग भू-तकनीकी जांच में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। इससे ससंजनहीन मृदा का सापेक्ष घनत्व निकला जाता है।इसके द्वारा कठोर व मुलायम मृदा का अंतर ज्ञात किया जाता है।ये विधि भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे अन्य देशों मे सबसे अधिक प्रयोग की जाती है।
मानक प्रवेश परीक्षण के लिए उपकरण
(1)स्टैंडर्ड स्प्लिट स्पून सैम्पलर
(2)ड्रॉप हैमर का वजन 63.5 किलोग्राम
(3) गाइडिंग रॉड
(4)ड्रिलिंग रिग।
(5)ड्राइविंग हेड (एनविल)।
स्टैंडर्ड पेनेट्रेशन परीक्षण के चरण
1- आवश्यक गहराई का बोर होल बना के नीचे तक सफाई करे।
2- आवश्यक लम्बाई के मानक ड्रिल छड़ से जुड़े स्पिलट स्पून सैम्पलर को नीचे उतारे।
3- 750mm की ऊंचाई से 650 kg के hammer को 30 blow per minute ke अनुसार गिराए ।
4 हर 150 mm की गहराई मे धसने मे आघातों की संख्या , नमूने लेते समय रिकॉर्ड करे ।
5 इस प्रकार मृदा के नमूने को एकत्र कर प्रयोगशाला मे
परीक्षण करे।
(b) डायनामिक कोन पेनेट्रेशन परीक्षण (Dynamic cone penetration test) DCPT
ये परीक्षण SPT teat की तरह बोर होल मे नहीं किया जाता है।ये परीक्षण 750 mm की ऊंचाई
से 65 kg के हथौड़े के आघात से मिट्टी मे ड्रिल रॉड से जुड़े 60 degree कोण शंकु को धंसा के किया जाता है।शंकु के प्रत्येक
300 mm के प्रवेश पर आघात की संख्या नोट कर लेते है ।
इन्हीं आघात की संख्या को शंकु प्रतिरोध के रूप में जाना जाता है।
(c) स्टेटिक कोन पेनेट्रेशन परीक्षण(Static cone penetration test) SCPT
इसे शंकु बेधन विधि भी कहा जाता है। ये परीक्षण गहराई के साथ प्रवेश प्रतिरोध को भिन्नता का निरन्तर रिकॉर्ड देता है।इस परीक्षण मे कोई नमूना प्राप्त नहीं होता है। इसमें एक शंकु का प्रयोग किया जाता है।ये स्टील से बना होता है ।ये स्टील ड्राइविंग रॉड के निचले सिरे से जुड़ा रहता है।रॉड का व्यास 15 mm होता है। शंकु को मैनुअली या हाइड्रोलिक रूप से संचालित तन्त्र का प्रयोग करके जमीन मे धकेल दिया जाता है ।जिस दाब से धक्का दिया जाता है उसे नोट कर लेते है।गहराई के साथ साथ शंकु प्रतिरोध की भिन्नता को अलग अलग स्तर पर नोट कर लिया जाता है।
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